Mahatma Gandhi Biography | राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी का जीवन परिचय

भारतीय राष्ट्रवादी नेता मोहनदास करमचंद गाँधी, जिन्हें सामान्यतः महात्मा गांधी के नाम से जाना जाता है, का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को पोरबंदर, काठियावाड़, भारत में हुआ था, जो तब ब्रिटिश साम्राज्य का हिस्सा था।

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उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था,और वह पोरबंदर और अन्य पश्चिमी राज्यों में एक मंत्री के रूप में कार्य करते थे| उनकी माता का नाम पुतलीबाई था, वह एक धार्मिक महिला थी, जो नियमित रूप से भगवान् के पाठ एवं उपवास करती थीं।

गांधी जी हिंदू भगवान विष्णु की पूजा करते हुए और कालांतर में जैन धर्म के पालन के बाद, उन्होंने अहिंसा, उपवास, ध्यान और शाकाहार का प्रबल समर्थन किया|

गांधी जी बचपन में बहुत शर्मीली प्रवृति के थे| ऐसा कहा जाता है की वे इतने डरपोक थे, कि अपनी किशोरावस्था में भी वह रोशनी से सोते थे। 13 वर्ष की उम्र में, उनका विवाह एक व्यापारी की बेटी कस्तूरबा से हुआ, जो आगे चलकर इतिहास में कस्तूरबा गांधी के नाम से विख्यात हुईं|

Mahatma Gandhi Biography
Mahatma Gandhi Biography

 

महात्मा गांधी जी के बारेमें – Mahatma Gandhi Information in Hindi

 

 

शिक्षा (Education)

  • 1887 में मॅट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण।
  • 1891 में इग्लंड में बॅरिस्टर बनकर वो भारत लोटें।
उपलब्धियां (Award)
  • भारत के राष्ट्रपिता,
  • भारत को आजाद दिलवाने में अहम योगदान,
  • सत्य और अहिंसा के प्रेरणा स्त्रोत,
  • भारत के स्वतंत्रा संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान भारत छोड़ो आंदोलन,
    स्वदेशी आंदोलन,
  • असहयोग आंदोलन स्वदेशी आंदोलन आदि।
बच्चों के नाम (Childrens Name)
  • हरिलाल,
  • मणिलाल,
  • रामदास,
  • देवदास
जन्म दिनांक (Birthday) 2 अक्तुंबर 1869 (Gandhi Jayanti)
पिता का नाम (Father Name) करमचंद
विवाह (Wife Name) कस्तूरबा – Kasturba Gandhi
माता का नाम (Mother Name) पुतली बाई
जन्मस्थान (Birthplace) पोरबंदर (गुजरात)
पूरा नाम (Name) मोहनदास करमचंद गांधी (Mahatma Gandhi)
महत्वपूर्ण कार्य (Work) सत्या और अहिंसा का महत्व बताकर इसको लोगों तक पहुंचाया,

छुआ-छूत जैसी बुराइयों को दूर किया

 

महात्मा गाधी जी की शिक्षा – Mahatma Gandhi Education

महात्मा गांधी जी शुरु से ही एक अनुशासित छात्र थे, जिनकी शुरुआती शिक्षा गुजरात के राजकोट में ही हुई थी। इसके बाद उन्होंने 1887 में बॉम्बे यूनिवर्सिटी से अपनी मैट्रिक की पढ़ाई पूरी की। फिर अपने परिवार वालों के कहने पर वे अपने बैरिस्टर की पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।

इसके करीब चार साल बाद 1891 में वे अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद अपने स्वदेश भारत वापस लौट आए। इसी दौरान उनकी माता का देहांत हो गया था, हालांकि उन्होंने इस दुख की घड़ी में भी हिम्मत नहीं हारी और वकालत का काम शुरु किया। वकालत के क्षेत्र में उन्हें कुछ ज्यादा कामयाबी तो नहीं मिली लेकिन जब वे एक केस के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका गए तो उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा।

इस दौरान उनके साथ कई ऐसी घटनाएं घटीं जिसके बाद गांधी जी ने रंगभेदभाव के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद की और इससे लड़ने के लिए 1894 में नेटल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की। इस तरह गांधी जी ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर रंगभेदभाव के मुद्दे को उठाया।

जब इंग्लेंड से वापस लौटे महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi Returned from England

साल 1891 में गांधी जी बरिस्ट्रर होकर भारत वापस लौटे इसी समय उन्होनें अपनी मां को भी खो दिया था लेकिन इस कठिन समय का भी गांधी जी ने हिम्मत से सामना किया और गांधी जी ने इसके बाद वकालत का काम शुरु किया लेकिन उन्हें इसमें कोई खास सफलता नहीं मिली।

गांधी जी की दक्षिण अफ्रीका की यात्रा – Mahatma Gandhi Visit to South Africa

Mahatma Gandhi – महात्मा गांधी जी को वकालत के दौरान दादा अब्दुल्ला एण्ड अब्दुल्ला नामक मुस्लिम व्यापारिक संस्था के मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा। इस यात्रा में गांधी जी का भेदभाव और रंगभेद की भावना से सामना हुआ। आपको बता दें कि गांधी जी दक्षिण अफ्रीका पहुंचने वाले पहले भारतीय महामानव थे जिन्हें अपमानजनक तरीके से ट्रेन से बाहर उतार दिया गया। इसके साथ ही वहां की ब्रिटिश उनके साथ बहुत भेदभाव करती थी यहां उनके साथ अश्वेत नीति के तहत बेहद बुरा बर्ताव भी किया गया था।

जिसके बाद गांधी जी के सब्र की सीमा टूट गई और उन्होनें इस रंगभेद के खिलाफ संघर्ष का फैसला लिया।

जब गांधी जी ने रंगभेद के खिलाफ लिया संघर्ष का संकल्प –

रंगभेद के अत्याचारों के खिलाफ गांधी जी ने यहां रह रहे प्रवासी भारतीयों के साथ मिलकर 1894 में नटाल भारतीय कांग्रेस का गठन किया और इंडियन ओपिनियन अखबार निकालना शुरु किया।

इसके बाद 1906 में दक्षिण अफ्रीकी भारतीयों के लिए अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की इस आंदोलन को सत्याग्रह का नाम दिया गया।

गांधी जी की दक्षिणा अफ्रीका से वापस भारत लौटने पर स्वागत – Mahatma Gandhi Return to India from South Africa

1915 में दक्षिण अफ्रीका में तमाम संघर्षों के बाद वे वापस भारत लौटे इस दौरान भारत अंग्रेजो की गुलामी का दंश सह रहा था। अंग्रेजों के अत्याचार से यहां की जनता गरीबी और भुखमरी से तड़प रही थी। यहां हो रहे अत्याचारों को देख गांधी – Mahatma Gandhi जी ने अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ जंग लड़ने का फैसला लिया और एक बार फिर कर्तव्यनिष्ठा के साथ वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े।

भारतीयों के आजादी के लिए संघर्ष

1916 ई. गांधी जी अपने भारत के लिए वापस भारत आए और अपनी कोशिशों में लग गए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन पर अपने विचार व्यक्त किए लेकिन उनके विचार भारत के मुख्य मुद्दों, राजनीति तथा उस समय के कांग्रेस दल के प्रमुख भारतीय नेता गोपाल कृष्ण गोखले पर आधारित थे, जो कि एक सम्मानित नेता थे।

चंपारण और खेड़ा (1918)

गांधी जी को सब अपनी पहली बड़ी उपलब्धि 1918 में चंपारण सत्याग्रह और खेड़ा सत्याग्रह में मिली हालांकि अपने निर्वाह के लिए नील की खेती की खेती करने के बजाय नगद पैसा देने वाली खाद्य फसलों की खेती करने वाली आंदोलन भी महत्वपूर्ण रहे। जमीदारों की ताकत का दमन करते हुए भारतीयों के नाम पत्र भरपाई बता दिया गया, जिससे वे अत्यधिक गरीबी से गिर गए। गांव में गंदगी अस्वस्थता और अन्य कई तरह की बीमारियां फैलाने लगी थी। खेड़ा, गुजरात में भी यही समस्या थी।

पहले तो गांधीजी ने वहां पर सफाई करवाई और स्कूल और अस्पताल बनवाए जिससे ग्रामीण लोगों को उन पर विश्वास हुआ। उस समय हुए शोर शराबे के कारण गांधी जी को शोर-शराबे से हुई परेशानियों के लिए थाने में बंद कर दिया गया जिसका विरोध पूरे गांव वालों ने किया। बिना किसी कानूनी कार्रवाई के गांधी जी को थाने में बंद करने के लिए और उन्हें वहां से छुड़वाने के लिए गांव के लोगों ने थाने के आगे धरना प्रदर्शन भी किया।

गांधी जी ने जमींदारों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हड़ताल का नेतृत्व किया जिन्होंने अंग्रेजी सरकार के मार्गदर्शन में उस क्षेत्र के गरीब किसानों को अधिक क्षतिपूर्ति मंजूर करने तथा खेती पर नियंत्रण राजसव में बढ़ोतरी को रद्द करना तथा इसे संग्रहित करने वाले एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।

महात्मा गांधी को सबसे पहले पलवल स्टेशन से गिरफ्तार किया गया था

असहयोग आन्दोलन (1920)

गांधी जी ने असहयोग, अहिंसा तथा शांतिपूर्ण प्रतिकार को अंग्रेजों के खिलाफ़ शस्त्र के रूप में उपयोग किया। पंजाब में अंग्रेजी फोजों द्वारा भारतीयों पर जलियावांला नरसंहार जिसे अमृतसर नरसंहार के नाम से भी जाना जाता है ने देश को भारी आघात पहुंचाया जिससे जनता में क्रोध और हिंसा की ज्वाला भड़क उठी।

गांधीजी ने ब्रिटिश राज तथा भारतीयों द्वारा ‍प्रतिकारात्मक रवैया दोनों की की। उन्होंने ब्रिटिश नागरिकों तथा दंगों के शिकार लोगों के प्रति संवेदना व्यक्त की तथा पार्टी के आरंभिक विरोध के बाद दंगों की भंर्त्सना की।

गांधी जी के भावनात्मक भाषण के बाद अपने सिद्धांत की वकालत की कि सभी हिंसा और बुराई को न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।

किंतु ऐसा इस नरसंहार और उसके बाद हुई हिंसा से गांधी जी ने अपना मन संपूर्ण सरकार आर भारतीय सरकार के कब्जे वाली संस्थाओं पर संपूर्ण नियंत्रण लाने पर केंद्रित था जो जल्‍दी ही स्वराज अथवा संपूर्ण व्यक्तिगत, आध्‍यात्मिक एवं राजनैतिक आजादी में बदलने वाला था।

 

महात्मा गांधी का चौरी-चौरा काण्ड (1922) – Mahatma Gandhi Chauri Chaura Andolan

5 फरवरी को चौरा-चौरी गांव में कांग्रेस ने जुलूस निकाला था जिसमें हिंसा भड़क गई थी दरअसल इस जुलूस को पुलिस ने रोकने की कोशिश की थी लेकिन भीड़ बेकाबू होती जा रही थी। इसी दौरान प्रदर्शनकारियों ने एक थानेदार और 21 सिपाहियों को थाने में बंद कर आग लगा ली। इस आग में झुलसकर सभी लोगों की मौत हो गई थी इस घटना से महात्मा गांधी – Mahatma Gandhi का ह्रद्य कांप उठा था। इसके बाद यंग इंडिया अखबार में उन्होनें लिखा था कि,

“आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मै हर एक अपमान, यातनापूर्ण बहिष्कार, यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं”

महात्मा गांधी का सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) – Mahatma Gandhi Savinay Avagya Andolan

महात्मा गांधी ने ये आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ चलाया था इसके तहत ब्रिटिश सरकार ने जो भी नियम लागू किए थे उन्हें नहीं मानना का फैसला लिया गया था अथवा इन नियमों की खिलाफत करने का भी निर्णय लिया था। आपको बता दें कि ब्रिटिश सरकार ने नियम बनाया था की कोई अन्य व्यक्ति या फिर कंपनी नमक नहीं बनाएगी।

12 मार्च 1930 को दांडी यात्रा द्धारा नमक बनाकर इस कानून को तोड़ दिया था उन्होनें दांडी नामक स्थान पर पहुंचकर नमक बनाया था और कानून की अवहेलना की थी।

Mahatma Gandhi – गांधी जी की दांडी यात्रा 12 मार्च 1930 से लेकर 6 अप्रैल 1930 तक चली। दांडी यात्रा साबरमति आश्रम से निकाली गई। वहीं इस आंदोलन को बढ़ते देख सरकार ने तत्कालीन वायसराय लॉर्ड इरविन को समझौते के लिए भेजा था जिसके बाद गांधी जी ने समझौता स्वीकार कर लिया था।

महात्मा गांधी का भारत छोड़ो आंदोलन- (1942) – Mahatma Gandhi Bharat Chhodo Andolan

ब्रिटिश शासन के खिलाफ महात्मा गांधी ने तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन छेड़ा था। इस आंदोलन को ‘अंग्रेजों भारत छोड़ों’ का नाम दिया गया था।

हालांकि इस आंदोलन में गांधी जी को जेल भी जाना पड़ा था। लेकिन देश के युवा कार्यकर्ता हड़तालों और तोड़फोड़ के माध्यम से इस आंदोलन को चलाते रहे उस समय देश का बच्चा-बच्चा गुलाम भारत से परेशान हो चुका था और आजाद भारत में जीना चाहता था। हालांकि ये आंदोलन असफल रहा था।

गांधीजी के समाज सुधार के कार्य

गांधीजी का योगदान एक समाज सुधारक के रूप में अतुलनीय है| उन्होंने जातिवाद, छुआछूत, दहेज प्रथा, पर्दा प्रथा, बहुविवाह नशाखोरी एवं सांप्रदायिक भेदभाव जैसी बुराइयों को मिटाने के लिए निरंतर संघर्ष किया|

जातिवाद और छुआछूत को मिटाने के लिए उन्होंने सबसे अधिक प्रयास किया और अछूतों को हरिजन (अर्थात हरि के जन) कहकर सामाजिक सम्मान दिलाया|

गांधी जी की मृत्यु-Mahatma Gandhi Death History in Hindi

सन 1947 में भारत को ब्रिटिश हुकूमत से आजादी मिली और अभी देश की स्वतंत्रता को एक वर्ष भी न बीता था, कि 30 जनवरी सन 1948 ईसवी की संध्या को नाथूराम गोडसे नामक एक व्यक्ति ने अपने रिवाल्वर की गोलियों से गांधीजी की हत्या कर दी|

30 जनवरी सन 1948 ईसवी को भारत का यह महान संत, पीड़ित मानवता का एकमात्र आश्रय और विश्व का महान व्यक्तित्व सदा सदा के लिए संसार से विदा हो गया| उस महानुभाव की मृत्यु से सारा संसार आवाक सा रह गया मानवता चीख उठी किंतु गांधी जी मर कर भी अमर हो गए|

गांधी जी के नेतृत्व में दिए गए आंदोलन

  • चंपारण और खेड़ा (1918)
  • असहयोग आंदोलन(1920)
  • स्वराज और नमक सत्याग्रह, डंडी यात्रा (1930)
  • दलित आंदोलन (1932)
  • द्वितीय विश्व युद्ध और भारत छोड़ो आंदोलन(1942)

वचन एवं नारे

  •  करो या मरो हे राम_भारत छोड़ो
  • करो या मरो”
  • “हिंसा परमो धर्म”
  • “आंदोलन को हिंसक होने से बचाने के लिए मैं हर एक अपमान यतना पूर्ण बहिष्कार यहां तक की मौत भी सहने को तैयार हूं।”
  • “बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, और बुरा मत कहो”
  • “सादा जीवन उच्च विचार”

महात्मा गांधी द्वारा लिखित पत्र पत्रिकाएं एवं पुस्तकें

  • यंग इंडिया,
  • हरिजन नवजीवन
  • हिंदू स्वराज
  • माय एक्सपेरिमेंट विथ ट्रुथ

उपाधिया

  • महात्मा गांधी जी को महात्मा रविंद्र नाथ टैगोर ने कहा जबकि रविंद्र नाथ टैगोर को गुरुदेव महात्मा गांधी ने कहा
  • डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद को महात्मा गांधी ने देश रत्न अजातशत्रु कहा
  • मोहम्मद अली जिन्ना को कायदे आजम के उपनाम से महात्मा गांधी ने उनको पुकारा ।
  • सुभाष चंद्र बोस के द्वारा महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता की उपाधि से प्रदान की गई

महात्मा गांधी जी पर बनी फिल्में – Mahatma Gandhi Movie

महात्मा गांधी जी आदर्शों और सिद्धान्तों पर चलने वाले महानायक थे, उनके प्रेरणादायक जीवन पर कई फिल्में भी बन चुकी हैं। इसके अलावा स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अन्य देशप्रेमियों और स्वतंत्रता सेनानियों पर भी बनी फिल्मों में गांधी जी का अहम किरदार दिखाया गया है। यहां हम आपको गांधी जी बनी कुछ प्रमुख फिल्मों की सूची उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है-

1- फिल्म- ‘गांधी’ (1982)

  • डायरेक्शन-   रिचर्ड एटनबरो
  • गांधी जी का किरदार निभाया- हॉलीवुड कलाकार बने किंस्ले

2- फिल्म- ”गांधी माइ फादर”(2007)

  • डायरेक्टर- फिरोज अब्बास मस्तान
  • गांधी जी का किरदार निभाया- दर्शन जरीवाला

3- फिल्म- ”हे राम” (2000)

  • डायरेक्टर-कमल हसन
  • गांधी जी का किरदार निभाया- नसीरुद्दीन शाह

4- फिल्म- ”लगे रहो मुन्नाभाई”

  • डायरेक्टर- राजकुमार हिरानी (2006)
  • गांधी जी का किरदार निभाया- दिलीप प्रभावलकर

5- फिल्म- ”द मेकिंग ऑफ गांधी”(1996)

  • डायरेक्टर- श्याम बेनेगल
  • गांधी जी का किरदार निभाया-रजित कपूर

6- फिल्म- ”मैंने गांधी को नहीं मारा”(2005)

  • डायरेक्शन- जहनु बरुआ
  • इसके अलावा भी कई अन्य फिल्में भी गांधी जी के जीवन पर प्रदर्शित की गई हैं।

महात्मा गांधी विचार 

  • अहिंसात्मक युद्ध में अगर थोड़े भी मर मिटने वाले लड़ाके मिलेंगे तो वे करोड़ो की लाज रखेंगे और उनमे प्राण फूकेंगे। अगर यह मेरा स्वप्न है, तो भी यह मेरे लिए मधुर है।
  • विश्व इतिहास में आजादी के लिए लोकतान्त्रिक संघर्ष हमसे ज्यादा वास्तविक किसी का नहीं रहा है। मैने जिस लोकतंत्र की कल्पना की है, उसकी स्थापना अहिंसा से होगी। उसमे सभी को समान स्वतंत्रता मिलेगी। हर व्यक्ति खुद का मालिक होगा।
  • लम्बे-लम्बे भाषणों से कही अधिक मूल्यवान है इंच भर कदम बढ़ाना।
  • भूल करने में पाप तो है ही, परन्तु उसे छुपाने में उससे भी बड़ा पाप है।
  • जब तक गलती करने की स्वतंत्रता ना हो तब तक स्वतंत्रता का कोई अर्थ नहीं है।
  • अपनी बुद्धिमता को लेकर बेहद निश्चित होना बुद्धिमानी नहीं है। यह याद रखना चाहिए की ताकतवर भी कमजोर हो सकता है और बुद्धिमान से भी बुद्धिमान गलती कर सकता है।
  • काम की अधिकता नहीं, अनियमितता आदमी को मार डालती है।
  • कुछ लोग सफलता के सपने देखते हैं जबकि अन्य व्यक्ति जागते हैं और कड़ी मेहनत करते हैं।
  • अपने ज्ञान के प्रति ज़रुरत से अधिक यकीन करना मूर्खता है। यह याद दिलाना ठीक होगा कि सबसे मजबूत कमजोर हो सकता है और सबसे बुद्धिमान गलती कर सकता है।
  • किसी भी देश की संस्कृति उसके लोगों के ह्रदय और आत्मा में बसती है।

महात्मा गांधी से सम्बंधित 37 बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर | Question Answer Related to Mahatma Gandhi In Hindi

प्रश्न 01. महात्मा गांधी का जन्म कब हुआ था?

उत्तर: 02-10-1869

प्रश्न 02. महात्मा गांधी का जन्म कहाँ हुआ था?

उत्तर: पोरबंदर

प्रश्न 03. महात्मा गांधी का पूरा नाम क्या है?

उत्तर: मोहनदास करम चंद गांधी

प्रश्न 04. महात्मा गांधी की मां का नाम क्या है?

उत्तर: पुतिलीबाई

प्रश्न 05. महात्मा गांधी की पत्नी कौन थी?

उत्तर: कस्तूरबा

प्रश्न 06. गांधी ने कौन सी पुस्तक लिखी थी?

उत्तर: सच्चाई, हिंद स्वराज सत्य के प्रयोग।

प्रश्न 07. नमक सत्यागृह कब ?

उत्तर: 12 मार्च, 1930

प्रश्न 08. साबरमती आश्रम कहां स्थित है (राज्य और जिला)?

उत्तर: अहमदाबाद, गुजरात

प्रश्न 9. महात्मा गाँधी की मृत्यु कब हुई थी ?

उत्तर: 30 जनवरी, 1948

प्रश्न 10. भारत में कब और कहाँ पहला सत्याग्रह था?

उत्तर: 1917 बिहार के चंपारण में।

प्रश्न 11. गांधी जी जेल गए थे (पहली बार)

उत्तर: दक्षिण अफ्रीका में जोहान्सबर्ग में 1908

प्रश्न 12. महात्मा गांधी जी कब भारतीय लौटे थे?

उत्तर: 9 जनवरी, 1915

प्रश्न 13. गांधी जी द्वारा कैसर-ए-हिंदी की उपाधि को क्यों छोड़ा गया?

उत्तर: जेलियावाला बैग नरसंहार (1919) के कारण

प्रश्न 14. गांधी द्वारा कौन सी कांग्रेस सत्र की अध्यक्षता हुई?

उत्तर – 1924 में बेलगाम का

प्रश्न 15. गांधी जी द्वारा अखिल भारतीय हरिजन समाज कब शुरू किया गया था?

उत्तर: 1932

प्रश्न 16. वर्धा आश्रम कहां स्थित है?

उत्तर: सेवाग्राम, वर्धा, महाराष्ट्र

प्रश्न 17. साप्ताहिक पत्रिका हरिजन कब शुरू किया?

उत्तर: 1933

प्रश्न 18. एमके गांधी को “आधा नग्न राजद्रोही फकीर” किसने बुलाया?

उत्तर: विंस्टन चर्चिल

प्रश्न 19. टैगोर को गुरुदेव का खिताब किसने दिया था?

उत्तर: महात्मा गांधी

प्रश्न 20. पहली बार “महात्मा” के रूप में किसने बुलाया?

उत्तर: रविंद्रनाथ टैगोर

प्रश्न 21. गांधी जी के राजनीतिक शिक्षक कौन हैं?

उत्तर: गोपाल कृष्ण गोखले।

प्रश्न 22. गांधी जी के आध्यात्मिक शिक्षक के रूप में कौन माना जाता है?

उत्तर: लियो टॉल्स्टॉय

प्रश्न 23. गांधी जी की हत्या कब हुई थी?

उत्तर: 30-01-19 48 नधुरम विनायक गोडसे द्वारा

प्रश्न 24. गांधी जी ने “पोस्ट डेटेड चेक” किसे कहा था?

उत्तर: क्रिप्स मिशन (1942)

प्रश्न 25. भारत में गांधी का तीसरा सत्याग्रह कहाँ था?

उत्तर: 1918 में खेड़ा सत्याग्रह।

प्रश्न 26. जब गांधी जी ने “हिंद स्वराज” प्रकाशित किया

उत्तर: 1908।

प्रश्न 27. किस अवधि को गांधी युग के रूप में माना जाता था

उत्तर: 1915 से 1948 तक

प्रश्न 28. किस भाषा में गांधी जी ने अपनी आत्मकथा लिखी थी?

उत्तर: गुजराती

प्रश्न 29. अंग्रेजी भाषा में गांधी जी जीवनी का अनुवाद किसने किया?

उत्तर: महादेव देसाई।

प्रश्न 30. महादेव देसाई की मृत्यु के बाद महात्मा गांधी के सचिव कौन थे?

उत्तर: प्यारेलाल

प्रश्न 31. गांधी की आत्मकथा का वास्तविक नाम क्या है?

उत्तर: सत्य के साथ मेरे प्रयोगों की कहानी

प्रश्न 32. गांधी का अंतिम शब्द क्या था?

उत्तर: हे राम।

प्रश्न 33. महात्मा गांधी की किस उम्र में शादी हुई थी ?

उत्तर: 13 साल।

प्रश्न 34. गांधी ने कहाँ से और किस विषय में स्नातक की उपाधि ली थी ?

उत्तर: 1891 में लंदन विश्वविद्यालय से कानून में।

प्रश्न 35. गांधी के पिता क्या कार्य करते थे ?

उत्तर: पोरबंदर शहर के दीवान

प्रश्न 36. जब गांधी ने भारत आंदोलन शुरू किया?

उत्तर: अगस्त 1942 को।

प्रश्न 38. महात्मा गांधी जी का स्मारक कहां है?

उत्तर: राज घाट (नई दिल्ली, भारत)

 

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